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01:15, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>भूल जाती हैं
अपना रास्ता
परेशानियां सारी
जब आता है-
जीवन में प्रेम....
जिंदा रहने के लिए
जरूरी है-
किसी सपने में जीना....
बिना सपनों के
बिना अपनों के
बस मरा जा सकता है।
प्रेम में बसा लेना-
तुम अपनी एक दुनिया.... </poem>