{{KKCatMaithiliRachna}}
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करेजक धुकधुकीक संग ई आबि गेलीगुन पर गुन....आ धरती गीरह पर अबैत देरी आँगुर पकड़ा देलैनगीरह.....तहियासँ अहर्निश जा रहल छुच्छ, नग्न आ असल रूपमे की छी डेगाडेगीठण्डा, हिमजकरा ‘हम’ कहै छिऐ ?जे छी सरिपों से छी निश्चित नहि छीकेहन क्रूर वीभत्स भयानक धोखा भेल अछिआलोकक स्पर्श मात्रसँ सभटा प्रतिमा बिला गेल अछिविकराल बोध केर धूमकेतुशत-शीतल मरणसहस्त्र ध’-बाट बाटेध’ धधकैत मरकाठी लेनेआत्महत्याक प्रक्रिया निमाहि चिता-पंुज के खोरि-खोरि क’ ताकि रहल छीछथि(जकरा जीवन कहैत छैक)शेष बचल की ?जीबि रहल छी।गीरह पर गीरह पर गीरह....छिटकि गेलैक अछिगुन पर गुन पर गुन पर गुन.....सभ उघरि गेलैक अछिदूध पिआ क’ माइ तहेतह खरकट्टल सभटा ओदरि गेलैक अछिजाति-वंश आ अन्न चिखा क’ माय-बापआ भाई-बहिन केरपोथी धोरवा क’ गुरू बाध-बोन आ शोणित चटा क’ स्त्रीटोल-पड़ोसकप्रीतसँ ईर्ष्या-द्वेषक हर्ष-शोककरहीत-मीत आ रीतिसँ समाजप्रीति-रीति केरआ संजीवनीक हेतु अपस्याँत मृत्युंजयघूलल हरिड़ा जामुन सनक बम भरभरा क’सामूहिक मरण यज्ञमे सभ सक्रिय छथिमौगीमेआतप-मुद्रामेवर्षा-मदिरामे अपनाकें तकैत छथि।शीत-बसन्तक हमरा भय नहि होइत बान्हल सक्कत जनम-गेठ सभ छिटकि गेलैक अछिहमहीं ओकरा होइत छिऐ मानेक्षितिजक पलकसत्यवान केर श्वेत प्राण-कोर पर जेनाकणखत्तामे डबरिआएल शोणित सनकसूर्यक थम्हा देखने हेबैतहिना हमर, आँखि क्षितिज धरि विस्फारित भ’ गेल यमक फाँससँ छहलि गेलैक अछिआ भूगोलक डगमग डिम्हासे भरल,अगुणित छिड़िआएल अस्तित्वक कोनो दोगमेसुसुम निर्मल रक्त पाराबारमे स्वयंभू (हम)तहेतह सिसोहल जा क’ शेष बँचल की ?मकारादिमे अपनाकें तकैत छीशून्यमे फाड़ल अनाकृत चीछ ??आत्महत्याक प्रक्रिया (जकरा जीवन कहैत छैक)आकि अनशून्य उद्धिजहीन, उत्तुंग हिम-गिरी-कन्दरामेनिमाहि रहल छी।औनाइत मूक हाक्रोश ???
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