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हरित फौवारों सरीखे धान / नामवर सिंह
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22:16, 30 जून 2013
हाशिये-सी विंध्य-मालाएँ
नम्र कन्धों पर झुकीं तुम प्राण
सप्तवर्णी
कैश
केश
फैलाए
जोत का जल पोंछती-सी छाँह
अनिल जनविजय
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