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प्यासे होंठों से / कुँअर बेचैन
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05:09, 1 जुलाई 2013
{{KKRachna
|रचनाकार=कुँअर बेचैन
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प्यासे होंठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी
हमने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू जी
Sharda suman
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