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याद का आसरा / कन्हैयालाल नंदन
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04:38, 4 जुलाई 2013
मुझे स्याहियों में न पाओगे
मैं मिलूंगा
लफ़्ेज़ों
लफ़्ज़ों
की धूप में
मुझे रोशनी की है जुस्तज़ू
मैं किरन-किरन में बिखर गया।
उसे क्या सुनाता मैं दास्ताँ, वो तो आईना देख के डर गया।
Sharda suman
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