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बहुरि नहिं आवना या देस / कबीर
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07:47, 7 जुलाई 2013
|रचनाकार=कबीर
}}
<poem>
बहुरि नहिं आवना या देस ॥<br>
जो जो गए बहुरि नहि आए, पठवत नाहिं सॅंस ॥ १॥<br>
Mani Gupta
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