गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 2
15 bytes added
,
17:26, 7 जुलाई 2013
|संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
<poem>
आहट पाकर जब ध्यान कर्ण ने खोला,
कुन्ती को सम्मुख देख वितन हो बोला,
तुझ तक न आज तक दिया कभी भी आने,
यह गोपन जन्म-रहस्य तुझे बतलाने।
</poem>
{{KKPageNavigation
|पीछे=रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 1
आशिष पुरोहित
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits