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अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद
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04:25, 9 जुलाई 2013
|रचनाकार=जयशंकर प्रसाद
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हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।
''' "भारत महिमा" से'''
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"भारत महिमा" से
Sharda suman
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