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यही शर्त ठंडे लोहे की
ओ मेरी आत्मा की संगिनी !
तुम्हें समर्पित मेरी सांस सांस थी, लेकिन
मेरी सासों में यम के तीखे नेजे सा
कौन अड़ा है ?      ठंडा लोहा !
मेरे और तुम्हारे भोले निश्चल विश्वासों को
कुचलने कौन खड़ा है ?
     ठंडा लोहा !
ओ मेरी आत्मा की संगिनी !
अगर जिंदगी की कारा में
कभी छटपटाकर मुझको आवाज़ लगाओ
       विवश हवाएं
             शीश झुकाए खड़ी मौन हैं
              बचा कौन है ?   ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा ! ठंडा लोहा !
</poem>
[https://youtu.be/MKXZKpDWwG4 यू ट्यूब पर सुने]
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