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क़त‍अ / मख़दूम मोहिउद्दीन

1 byte removed, 09:04, 15 जुलाई 2013
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ये रक़्स, रक़्से शरर ही सही मगर ऐ दोस्त
दिलों के साज़ पे रक़्से शरर ग़नीमत है
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