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इसी तरह से ये काँटा निकाल देते हैं / द्विजेन्द्र 'द्विज'
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|रचनाकार=द्विजेन्द्र 'द्विज'
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इसी तरह से ये काँटा निकाल देते हैं
हम अपने दर्द को ग़ज़लों में ढाल देते हैं
Sharda suman
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