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तुम्हारी कविता / शर्मिष्ठा पाण्डेय
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09:44, 3 अगस्त 2013
साल, दिन महीने गए मौसमों के साथ
पर, पतझड़ों में आज भी जीती है ये 'कविता'
इंसाफपसंद
इंसाफ पसंद
है खुदा, माकूल, उसका फैसला
पानी का पानी दूध का है दूध, ये 'कविता'
जो कर दो माफ़ तुम तो दे दे माफ़ी वो खुदा
Sharda suman
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