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अभिमत/कवर टिप्पणी

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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
|संग्रह=सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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हिन्दी ग़ज़ल और गीत के क्षेत्र में युवा कवि वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ का नाम बहुत जाना पहचाना है । बुन्देलखण्ड में दूसरे दुष्यन्त कुमार कहे जाने वाले ‘अकेला’ ने अपनी मूल छवि के अनुरूप आम लोगों के दुख-दर्दों को समर्थ वाणी देने वाली हिन्दी ग़ज़लें कह कर दुष्यन्त कुमार की ग़ज़ल परम्परा को तो आगे बढ़ाया ही है साथ ही उन्होंने पारम्परिक हिन्दी गीत विधा को कथ्य और शिल्प की दृष्टि से एक नवीन सर्वग्राही रूप प्रदान करने का सराहनीय कार्य भी किया है । ‘अकेला’ की यह दूसरी कृति उनकी साहित्यिक प्रतिष्ठा को और पुख़्तगी देगी, ऐसा मेरा विश्वास है ।