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भूलों का विश्लेषण/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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12:20, 16 अगस्त 2013
बंजर धरती..................................................
आत्मकथ्य ऊँचे हैं
बोनी
बौनी
करनी है
ऐसे में कुछ हालत कहाँ सुधरनी है
प्रभु को है परहेज़ चरण-रज देने में
Tanvir Qazee
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