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वो हमें जिस कदर आज़मा रहे है / ख़ुमार बाराबंकवी
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07:37, 1 सितम्बर 2013
|रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी
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वो हमें जिस कदर आज़माते रहे
अल्लमा लफ़्जिशे यक तब्बसुम "खुमार"
ज़िन्दगी भर हम आँसू बहाते रहे
</poem>
Sharda suman
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