Changes

मुदा मनुक्ख ताकि अछि लेने
एहि अनन्तक परिधि
परिधिकेँ परिधिके नापि अछि लेने मनुक्ख।
ई आकाश छद्मक तँ नहि अछि विस्तार,
तावत एकर असीमतापर तँ करहि पड़त विश्वास!
स्वरकेँ स्वरके देखबाकचित्रकेँ चित्रके सुनबाकसागरकेँ सागरके नाँघबाक।
समय-काल-देशक गणनाक।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,119
edits