'''[[{{GKRachnakaarParichay|रचनाकार=तुफ़ैल चतुर्वेदी]]'''}}{{GKCatJeevanVritt }}====परिचय====
तुफैल साहब का नाम शाइरी की दुनिया में बहुत जाना पहचाना नाम है.1961 में जन्में तुफैल का वास्तविक नाम विनय कृष्ण है ......... विनय से वे 'तुफैल' कब और कैसे बन गए, उन्हें खुद भी याद नहीं .......
तुफैल साहब मूलतः [[उत्तराखंड]] के काशीपुर जमीदारों परिवार से तआल्लुक रखते है.......बचपन उसी शानो-शौकत में बीता. सेब के बाग-बगीचों में घूमते हुए दिन बीत रहे थे कि हज़रत ने कहीं [[दाग]] साहब का शेर पढ लिया
’’कि हाय किस वक्त कम्बख्त खुदा याद आया’’...... इस शेर ने तुफैल को शायरी के पाश में ऐसा जकडा कि तुफैल साहब आज तक उसी जादू में बधे हुए हैं. तुफैल ने अपनी शाइरी तब शुरू की जब वे स्कूल में थे........ये शाइरी आज तक जारी है!
नैनीताल से स्कूल, कालेज के दौरान ही शेर कहने-पढने का ऐसा चस्का लगा कि अब वही उनकी दुनिया हो गयी है.
====सम्पादन ====
आजकल वे 'लफ्ज़ ' पत्रिका का सम्पादन कर रहे हैं जो हास्य व्यंग्य और गजल छापने वाली पत्रिकाओं में अव्वल नम्बर की पत्रिका है.
तुफैल साहब इससे पूर्व पाकिस्तानी व्यग्यकार - [[मुशताक अहमद युसुफी]] की तीन रचनाओं का उर्दू से हिन्दी अनुवाद कर चुके हैं,जो जबरदस्त लोकप्रिय रहे.......’खोया पानी’ ,’मेरे मुह में खाक’ और ’धनपात्र ’ नाम से इन उपन्यासों ने हिन्दी पाठकों को श्रेष्ठतम उर्दू व्यंग्य पढने का मौका दिया .