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अपने होने से / चंद्र रेखा ढडवाल
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03:04, 16 अक्टूबर 2013
क्योंकि सुबह दूसरों के चाहने से शुरू होती
एक काम के लिए कहीं पहुँचती
पा जाती है कुछ और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी एक हाँक का उत्तर देते दूसरी को सुनती
बौखलाई-सी रुक जाती हाँफती हुई
बीच मँझधार साँस लेने को
द्विजेन्द्र द्विज
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