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एक सूं मत सारो / कृष्ण वृहस्पति
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04:18, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>जे आपरै
भोगै खावै तो
देखो हमेस दो सूं बेसी सुपनां
Sharda suman
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