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शिकार / रूपसिंह राजपुरी
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|संग्रह=
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatRajasthaniRachna
}}{{KKCatKavita}}<poem>बेटा-बेटी मैं फर्क करैं जका,
समझ ल्यो बां रो राम निसरग्यो।
ऊत, कपूत घणां ई जामयां,
Mani Gupta
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