672 bytes added,
03:57, 18 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोनिका गौड़
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}
<poem>रात री
हथेळी पर मेल्यो
एक चांद
कीं तारा
कै
बाद में गिण’र धर लेसूं
अंतस रै खूंजै मांय
रीसाणो सूरज
होयो लाल-तातो
खोस्यो चांद
गुड़ाया तारा,
बस
दो इज रैयग्या
आंख रै खूंजै मांय
आंसू होय’र।</poem>