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रोटी / शिवदान सिंह जोलावास

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<poem>चूल्है रा ताप मांय
पिघळ रैयी है चांदणी।
पूरी गरमी साथै
तवा माथै इतरावै है
गोळ-गोळ सूरज।</poem>
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