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22:22, 20 अक्टूबर 2013 <poem>बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
हूक प्रेम की शूल वेदना
अंतर बेधी मौन चेतना
रोम-रोम में रमी बसी छवि
हर कण अश्रु सिक्त हो निखरा
आड़ी-तिरछी रेखाओं का
धूमिल-धुंधला अंग न बदला
बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
मिथ्या छल के इंद्रधनुष में
बंध के रेशा-रेशा पागल
क्षितिज मिलन की आस में जोगी
आशाओं का प्यासा सागर
दुनिया छोड़ी लाज भुलाई
युग-युग से ये ढंग न बदला
बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
</poem>