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02:06, 24 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र
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|संग्रह=
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<poem> तजा है प्राण दशरथ ने जुदाई हो तो ऐसा हो।
भरत भी राजतज दीनो सचाई हो तो ऐसा हो।
चले हैं राम जीवन में न छोड़ा संग लछुमन ने
सहा दुख सुख सभी बन में जो भाई हो तो ऐसा हो।
मिलन देखो भरत जी का मोहब्बत हो तो ऐसा हो।
न छोड़ा साथ सीता ने पतिव्रत होतो ऐसा हो।
बरस चउदह बितावेंगे अवध में ना ही आएगें
महेन्दर गवर से देखो प्रतिज्ञा हो तो ऐसा हो।
</poem>
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