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02:32, 24 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
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<poem> दिल लगाने के लिए दिल आजमाना चाहिए।
बंदगी करने से पहले सर झुकाना चाहिए।
चाह मुश्किल कुछ नहीं निर्वाह मुश्किल है सदा,
मिल गया जब दिल से दिल तो फिर निभाना चाहिए।
ओछ से क्या प्रीत करना बालू का जो भीत है,
साँचे दिल से हो मोहब्बत दिल ठेकाना चाहिए।
है कठिन ये मित्रता ये काटे से कटता नहीं।
दुख में सुख में साथ ही मर के मिटाना चाहिए।
</poem>