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07:43, 26 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
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{{KKCatNazm}}
<poem>कविता ने …
उसकी ओर आखिरी बार
हसरत से देखा
नीम गुलाबी होंठ फडके
आंसुओं से भीगी पलकें
ऊपर उठाईं …
और धीमे से बोली …
आज मैं तेरे घर
ज़िन्दगी की आखिरी हँसी
हँस चली हूँ ….
</poem>
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