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22:29, 2 दिसम्बर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हरीश बी० शर्मा
|संग्रह=
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<poem>नवी हवा रा लैरका
सरणाट बैवै है
प्रीत-प्रेम री बातां रो उळझाव
राखणो चावै ई कोनी
अेक-दूजै री दोनूं
गरज जाणै है
‘गरज मिटी अर गूजरी नटी’
लेणै-देणै री लटकाण
ऐसाण अर ओळभै रो माण
बिरथा भार कुण ढोवै है?
नवै जुग रो साच
हवा री सौरम नैं कांई दोस?</poem>