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22:05, 13 दिसम्बर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=किरण राजपुरोहित ‘नितिला’
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>भासा रा भाखर चढता
थाकै आखर
पांगळो ई रैय जावै
अरथावणो।
निज भासा बिन
होय जावै अंधारो
डूबै- जिण में इतियास।</poem>
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