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08:01, 29 दिसम्बर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रमेश 'कँवल'
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जुनूं की वादियों से दिल को लौटाना भी मुश्किल है
तुम्हें खोना भी मुश्किल है, तुम्हें पाना भी मुश्किल है
मेरे तपते सुलगते रोज़ो-शब1 मजबूर हैं लेकिन
मेरे ख़्वाबों के जंगल का झुलस जाना भी मुश्किल है
समझदारी का मौसम ले उड़ा तिफ़्ली2 की रअ़नार्इ3
खिलौने दे के अब बच्चे को बहलाना भी मुश्किल है
निगाहो–दिल में हंगामों के आसेबी4 जज़ीरे5 हैं मगर
चेहरे के सन्नाटों को झुठलाना भी मुश्किल है
बहुत मुश्किल है वापस ले के आना ख़ुशियों का सूरज
उदासी के घने कोहरे को बिखराना भी मुश्किल है
हक़ीक़त आशना6 लोगो ने भी झूठी गवाही दी 'कंवल’
सच्चार्इ को आइना दिखलाना भी मुश्किल है
1. रातदिन,हरसमय 2. बचपन 3. सुन्दरता,शोभा
4. भूत-प्रेतवाला 5. द्वीप-टापू 6. परिचित- मित्र।
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