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मंद-मंद मुसकावत आवत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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15:32, 10 जनवरी 2014
मुख प्रसन्न मुनि-मानस-हर मृदुहास-छटा चहुँ ओर बिखेरत।
चिा-बिा हर लेत निमिष महँ जा तन करि कटाच्छ दृग ड्डेरत॥
मुरली,
क्रीेड़ा
क्रीड़ा
-कमल
प्रड्डुल्लित
प्रफ्फुल्लित
लिये एक कर, दूजे दरपन।
देखि राधिका, करन लगी निज पुनः-पुनः अर्पित कौं अरपन॥
Sharda suman
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