गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कितनी अतृप्ति है / गोपालदास "नीरज"
24 bytes added
,
11:09, 4 मार्च 2014
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कितनी अतृप्ति है...
पर फिर विष पीने की इच्छा क्यों जागृत होती है मन में ?
कवि का विह्वल अंतर कहता, पागल, अतृप्ति है जीवन में।
</poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,130
edits