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मरण-त्योहार / गोपालदास "नीरज"
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11:11, 4 मार्च 2014
<poem>
पथिक! ठहरने का न ठौर जग, खुले पड़े सब द्वार
और डोलियों का घर-
२
घर
पर लगा हुआ बाज़ार
जन्म है यहाँ मरण-त्योहार..
Sharda suman
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