Changes

ककून / नील कमल

7 bytes removed, 08:40, 13 मार्च 2014
{{KKCatKavita}}
<poem>
शहतूत के बगीचों से
वे उठा लाए हैं हमें अजन्मा
और उबाल रहे हैं हमारी ज़िन्दगियाँ
जिनके चेहरों पर चमक सिक्कों की
लकदक जिनकी पोशाकें नफासत वाली
 
देखो, वे हमें मारने आए हैं
उसे फोड़ कर निकलना था
हमें उड़ना था खुली हवा में
हाय, मारे गए हम अजन्मे !
रेशा-रेशा हुए हम, ओ सभ्य लोगों
सजी एक आधे बांह की कमीज़
जब हजारों की तादाद में मारे गए हम
 
किसी प्रेमिका को जन्मदिन पर
अथाह रसीलापन है इसमें
यही पत्तियाँ रहीं आसरा
हमारे लिए, क्षुधा के निमित्त !
क्षुधार्त जीवन इस पृथ्वी पर
और बाद इसके
आसमान के कैनवास पर उसे टाँक दो
 
अपने बच्चों से कहो
संवरना था एक जीवन को
पूरा होना था एक चक्र
जीवन-चक्र एक रेशम कीट का !
जीवन-चक्र वह अंततः रहा अवरुद्ध
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,131
edits