धनिकों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!
कोई जावे पुरी द्वारिका
धनिकों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!
कोई करे गुमान रूप पर
जीता मरता जग सौ विधि से
मेरे जन्म-मरण बस तुम हो!
धनिकों के तो धन हैं लाखों
मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!
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