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|रचनाकार=मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
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<poem>

दरिया उथले पानी में क्या करते हैं
तिनके इस तुग़ियानी<ref> जलप्लावन , बाढ़, सैलाब</ref> में क्या करते हैं

पत्थर हैं तो शीश महल पर जायें ना
घाव मिरी पेशानी पर क्या करते हैं

तंगी में वो सजदे करते रहते थे
देखें तनआसानी<ref>निकम्मापन, आलस, आरामतलबी</ref> में क्या करते हैं

रहने दें वीराने को वीराना ही
दीवाने नादानी में क्या करते है

सब से अच्छे लगते हैं अपनी कुर्सी पर
चांद सितारे पानी में क्या करते हैं

खिलते हैं वो हैरानी में दुनिया है
फूल यहाँ वीरानी में क्या करते हैं

</poem>
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