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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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वे किसान की नई बहू की आँखेंमजदूर का जन्म</div>
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रचनाकार: [[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"केदारनाथ अग्रवाल]]
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नहीं जानती जो अपने को खिली हुई --एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !विश्व-विभव से मिली हुई --हाथी सा बलवान,नहीं जानती सम्राज्ञी अपने को --जहाजी हाथों वाला और हुआ !नहीं कर सकीं सत्य कभी सपने कोसूरज-सा इन्सान,वे किसान की नई बहू की आँखेंतरेरी आँखोंवाला और हुआ !!ज्यों हरीतिमा एक हथौड़ेवाला घर में बैठे दो विहग बन्द कर पाँखें ;और हुआ!वे केवल निर्जन के दिशाकाश कीमाता रही विचार,प्रियतम के प्राणों के पास-हास कीअँधेरा हरनेवाला और हुआ !दादा रहे निहार,भीरु पकड़ जाने को हैं दुनिया के कर से --सबेरा करनेवाला और हुआ !!बढ़े क्यों न वह पुलकित हो कैसे भी वर से । एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !जनता रही पुकारसलामत लानेवाला और हुआ !सुन ले री सरकार!कयामत ढानेवाला और हुआ !!एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
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