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तुम मिलती हो / केदारनाथ अग्रवाल
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|संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं / केदारनाथ अग्रवाल
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तुम मिलती हो
हरे पेड़ को जैसे मिलती धूप,
आँचल खोले,
::सहज
::
स्वरूप ।
स्वरूप।
</poem>
Sharda suman
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