Changes

}}{{KKCatKavita}}
{{KKAnthologyPita}}
<poem>
एहसानमन्द हूँ पिता
 
कि पढ़ाया-लिखाया मुझे इतना
 
बना दिया किसी लायक कि जी सकूँ निर्भय इस संसार में
 
झोंका नहीं जीवन की आग में जबरन
 
बांधा नहीं किसी की रस्सी से कि उसके पास ताकत और पैसा था
 
लड़ने के लिए जाने दिया मुझको
 
घनघोर बारिश और तूफ़ान में
 
एहसानमन्द हूँ कि इन्तज़ार नहीं किया
 
मेरे जीतने और लौटने का
 
मसरूफ़ रहे अपने दूसरे कामों में
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits