फैसला ठीक है निभायें क्या
चश्मेनम <ref>भीगी आँख </ref> का अजीब मौसम है शाम,झीलें,शफ़क़<ref>लालिमा </ref>,घटायें क्या
बाल बिखरे हुये, ग़रीबां चाक
तेरे बाजू में बैठ जायें क्या
झूठ पर झूठ कब तलक वाइज़<ref>मौलाना</ref>
झूठ बातों पे सर हिलायें क्या
</poem>{{KKMeaning}}