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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}} [[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>ज़ख़्म जो आप की इनायत है इस निशानी को नाम क्या दे हम प्यार दीवार बन के रह गया है इस कहानी को नाम क्या दे हम
ज़ख़्म जो आप की इनायत है इस निशानी को नाम क्या दे इल्ज़ाम धर गये हम <br>पर एक एहसान कर गये हम पर प्यार दीवार बन के रह गया आप की ये मेहरबानी है इस कहानी मेहरबानी को नाम क्या दे हम <br><br>
आप इल्ज़ाम धर गये हम पर एक एहसान कर गये हम पर <br>आपको यूँ ही ज़िन्दगी समझा धूप को हमने चाँदनी समझा आप भूल ही भूल जिस की ये मेहरबानी आदत है मेहरबानी इस जवानी को नाम क्या दे हम <br><br>
आपको यूँ ही ज़िन्दगी समझा धूप को हमने चाँदनी समझा <br>भूल ही भूल जिस की आदत है इस जवानी को नाम क्या दे हम <br><br> रात सपना बहार का देखा दिन हुआ तो ग़ुबार सा देखा <br>बेवफ़ा वक़्त बेज़ुबाँ निकला बेज़ुबानी को नाम क्या दे हम <br><br/poem>
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