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01:50, 10 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=संतोष मायामोहन
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<poem>सोनलिया रेत
बायरियो मांडै
लहरां
नीर री।
बरकां
धारै माछळिया रूप
मरुधर नैं ओळ्यूं आवै
समद री।</poem>
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