गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दूसरा वनवास (कविता) / कैफ़ी आज़मी
1 byte added
,
04:58, 10 मई 2014
है मेरे सर की ख़ता, ज़ख़्म जो सर में आये
पांव
पाँव
सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे
कि नज़र आये वहां ख़ून के गहरे धब्बे
पांव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे
राजधानी की फज़ा आई नहीं रास मुझे
छह दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे
<
/
poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,130
edits