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वसन्त-गीत / अज्ञेय

1 byte removed, 07:57, 12 मई 2014
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मलय का झोंका बुला गया :
खेलते से स्पर्श से वो रोम-रोम को कँपा गया-
जागो, जागो, जागो सखि, वसन्त आ गया! जागो!
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