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आमुख / राजेन्द्र जोशी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी}}{{KKCatKavita‎}}<poem>'''मौन से बतकही : कोलाहल का अंतरंग'''
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्त्ता और साक्षरताकर्मी श्री राजेन्द्र जोशी लम्बे अन्तराल से कविताएं भी लिखते रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व श्री जोशी का एक काव्य संकलन “सब के साथ मिल जाएगा” शीर्षक से प्रकाशित भी हुआ था। जाहिर है, जोशी के यहां अपने कवि-कर्म को लेकर कोई बड़बोला दावा अथवा कोई दुर्विनीत आग्रह नहीं हैं। उनके संवेदनशील मन की प्रतीतियां अपना रूपाकार खोजती हुईं कागज पर उतरती हैं तो स्वाभाविक सी कुछ लय-सरंचनाएं भाषा में निबद्व होकर कविता का भेस धारण कर लेती हैं। यह स्वाभाविकता इन कविताओं की शक्ति भी है और सीमा भी। चंूकि श्री जोशी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं, इसलिए उनकी काव्य-भाषा में भी और उसमें अन्तर्निहित संवेदना में भी एक खास तरह का सरल और निष्कपट-सा सामाजिक सरोकार हमेशा गूंजता सुनाई पड़ता है।
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