{{KKRachna
|रचनाकार=संजय आचार्य वरुण
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>राती हुयोङी आंख्याहुयोड़ी आंख्यांपीळो हुळक मूंडोपीळौ हुलक मूंडौबगत सूं पैलीकाळासी गमायोङागमायोड़ा
धोळा केस
चामङी चामड़ी रै मांय सूंझाकौ झाको घालतीहरी टांच नाड्यांनाड़्यांआंख्या आंख्यां नीचै फ़ेल्योङौपसर्योड़ोबैंगणी अमूजौअमूजो
अर डोळां रै
आसै-पासै तिरता
गुलाबी डोरा
ऐङैएड़ै-गेङै लैरावंतौगेड़ै लैरावतोकाळ्मसकळमस
म्हैं मानग्यो
सांच साची कैवै है लोगके कै जीवण है-सतरंगी इंद्ररधनुष.इंदरधनख।</poem>