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16:14, 14 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मेरे शहर के लोग
भोले और सीधे
सपाट बात
बे लाग
रोज करते हैं
एक ही पाटे पर
शंकर और रहीम
शोभना और मरियम
समय तुम्हारा- शहर हमारा
</poem>
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