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उधार / राजेन्द्र जोशी

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|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी
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{{KKCatKavita‎}}<poem>यह उधारी का देश
देश पर कितनी उधारी
उधारी देश पर
दायित्व
सबको बराबर चुकानी होगी
नहीं तो ब्याज बढ़ता जाएगा
मूल से कई गुना
मैं भी चुकाऊँंगा
पर मुझसे पूछा तो गया होता
क्यों लिया था उधार
कहां गई उधारी
हिसाब दो
अन्यथा उसी से वसूलो
जिम्मेदारी तय हो
मुझे, मेरा हिसाब बता दो
मेरे हिस्सा ले लो
रोज टेक्स नहीं भरूंगा
एक साथ दूंगा
मुझे मेरी उधारी बता दो!
</poem>
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