879 bytes added,
08:20, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चतुर्भुजदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
रावल के कहे गोप आज व्रजधुनि ओप कान देदे सुनों बाजे गोकुल मंदिलरा।
जसोदा के पुत्र भयो वृषभानजूसो कह्यो गोपी ग्वाल ले ले धाये दूध दधि गगरा॥१॥
आगे गोपवृंद वर पाछे त्रिया मनोहर चलि न सकत कोऊ पावत न डगरा।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर को जनम सुनि फूल्यो फूल्यो फिरत हे नादे जेसें भंवरा॥२॥
</poem>