768 bytes added,
10:43, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=परमानंददास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ ।
संग शिभित वृषभान नंदिनी ललिता विशाखा साथ ॥१॥
वाजत ताल मृदंग झांझ डफ रुंज मुरज बहु भांत ।
अति अनुराग भरे मिल गावत अति आनंद किलकात ॥२॥
चोवा चण्दन बूकावंदन उडत गुलाल अबीर ।
परमनानंद दास बलिहारी राजत हे बलवीर ॥३॥
</poem>