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10:37, 18 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विद्यापति
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<poem>
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी ।...2
नारद बभनमा सs केलैन्ह पुछारी
बर बूढा लयला भिखारी । ...२
हिमाचल .................२
ओहि बुढ़वा के बारी नय झारी
पर्वत के ऊपर घरारी..........2
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी।.......2
भनहि विद्यापति सुनु हे मनाइन
इहो थिका भंगिया भिखारी.........2
हिमाचल किछुओ नय केलैन्ह बिचारी।.....2
</poem>
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